उत्तर प्रदेश के पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह का कहना है, कि इस योजना का प्रथम चरण बरेली, झांसी और गोरखपुर मंडल में 10 सितंबर से 25 सितंबर तक सुनिश्चित किया जाएगा। सड़कों पर विचरण कर रहे गोवंश को गोआश्रय तक पहुंचाने का कार्य किया जाएगा। वहीं, इसके साथ ही उनके खान-पान की भी समुचित व्यवस्था की जाएगी।
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पशुओं को छुट्टा छोड़ने वालों पर होगी कानूनी कार्रवाई
उत्तर प्रदेश के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने इन जनपद के किसानों एवं पशुपालकों से निवेदन किया है, कि कोई भी पशुओं को सड़कों पर निराश्रित ना छोड़ें। यदि कोई भी शक्श ऐसा करता पाया गया तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने जनपद के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, कि ऐसे लोगों की पहचान की जाए जो पशुओं को खाली सड़कों पर छोड़ दे रहे हैं। साथ ही, संपूर्ण राज्य में इस अभियान का चरणबद्ध ढ़ंग से प्रचार-प्रसार किया जाए। सरकार स्थानीय प्रशासन, मनरेगा एवं पंचायती राज विभाग के सहयोग से समस्त जनपदों में गोआश्रय स्थल बनवाएगी और पहले से मौजूद गौशालाओं की क्षमता का विस्तार भी किया जाऐगा।
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मवेशियों की ईयर टैगिंग की जाऐगी
पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह ने बताया है, कि ग्रामीण क्षेत्र के सभी पशुओं का ईयर टैगिंग किया जाएगा। इसकी सहायता से मवेशियों की देखभाल और निगरानी में काफी आसानी होगी। इसके अतिरिक्त सरकार ने बाढ़ प्रभावित जनपदों में पशुओं के लिए पर्याप्त चारा, औषधीय और संक्रामक रोगों से संरक्षण के लिए दवाईयों एवं टीकाकरण की व्यवस्था भी करेगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की जमकर तारीफ भी की. उन्होंने कहा की इस योजना से ही किसान लगभग 10 टन अतिरिक्त प्रति हेक्टेयर के हिसाब से गन्ना ले रहे हैं. वहीं 8 लाख से ज्यादा अतिरिक्त गन्ने का रकबा बढ़ा है. कोरोना काल में भी सरकार की तरफ से मिलें चलवाई गयी हैं. जिसे किसानों को लगातार पैसा मिलता रहा. वहीं सैनिटाइजर 27 राज्यों तक पहुंचाया गया. इसके अलावा गेहूं के समर्थन मूल्य को भी बढ़ाया गया है. जिसके बाद अब आलू के बारे में भी सरकार व्यवस्था बना रही है. इससे किसानों को इधर उधर नहीं भागना पड़ेगा.
किसानों को दी 51 घार करोड़ की सम्मान निधि
सीएम योगी ने कहा कि , फ्लेके समय में किसान साहूकारों के चुंगल में फंसे हुए थे. लेकिन बदलते समय में किसानों के हालातों में सुधार हुआ है. 2 करोड़ 60 लाख किसानों को साढ़े तीन सालों के अंदर अंदर 51 हजार करोड़ की सम्मान निधि सरकार ने दी. वहीं 22 लाख हेक्टेयर की जमीन को सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाया. साल 2017 की बात करें तो पहले खेती घाटे का सौदा हुआ करती थी, लेकिन अब या रिकॉर्ड है कि, इस सरकार के 6 साल बात दो लाख करोड़ से ज्यादा की राशि किसानों के गन्ना मूल्य के जरिये उनके बैंक अकाउंट में सीधा ट्रांसफर की जा रही है. पाकिस्तान से तुलना करते हुए सीमे योगी ने कहा कि, जहां वह देश अपना कर्जा नहीं चुका पा रहा है, वहीं हम डीबीटी के जरिये किसानों को पैसा दे रहे हैं.
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किसानों के हित में सरकार एक से एक योजनाओं पर काम कर हरी है. वहीं किसानों की परेशानी को देखते हुए सरकार किसानों को ऐसे यंत्र दे रही है, जिससे उन्हें पराली को आग लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. मशीन खुद ब खुद फसल को काट देगी और ढांचे की तरह उसे मिट्टी में मिला भी देगी. जिसका इस्तेमाल किसान कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तैयारियां
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्र निर्देश के हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं. इसके अलावा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के निर्देशों का पालन भी किया जा रहा है, उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम को चलाने के पीछे की मंशा यही है कि, मिलेट्स से जुड़ी पोषण सम्बंधी खूबियों को लोगों तक पहुंचाएं. अच्छे स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग इनका किसी ना किसिया रूप से उपयोग उपभोग कर सकें.
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इस योजना के तहत मिलेट्स फसलों में जैसे ज्वार, बाजरा, कोदो, सवा की खेती को बड़े पैमाने में बढ़ावा देने के लिए उचित प्रयास किये जा रहे हैं. यूपी सरकार मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम में करीब 186.27 करोड़ रुपये खर्चा कर रही है.
साल 2021 से 2022 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर की एरिया में खास मिलेट्स फसलों का उत्पादन किया जाता है. इसमें बाजरा , ज्वार, कोदो और सावा का रकबा क्यों लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है. यूपी की योगी सरकार ने साल 2026 से 2027 तक इनकी बुवाई का रकबा बढाकर तकरीबन 25 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य तय किया है.
सरकार देगी फ्री में बीज
यूपी सरकार ने आने वाले चार सैलून में ढ़ाई लाख किसानों को फ्री में बीज देने का फैसल किया है. जिसके लिए वो 11.86 करोड़ रुपये भी खर्च करने वाली है. इतना ही नहीं मिलेट्स बीजों के उत्पादन के लिए सरकार की तरफ से साल 2023 से 2024 और साल 2026 से 2027 तक कुल 180 कृषक उत्पादक संगठनों को चार लाख रुपये प्रति एफपीओ (FPO) के हिअब से सीड मनी दी जाएगी. जिससे भविष्य में राज्य में मिलेट्स की तरह तरह की फसलों के बीज को स्थानीय स्तर पर किसानों को उपलब्ध करवा सकेंगे. इतना ही नहीं इस कार्यक्रम के लिए चार सालों में 7 करोड़ से भी ज्यादा की धन राशि खर्च की जाएगी.
यदि हम फसल के नुकसान पर नजर डालें तो मार्च के दूसरे पखवाड़े में बेमौसम बारिश की वजह से गेहूं एवं सरसों की फसल में 50 प्रतिशत से अधिक हानि की अटकलें लगाई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के 10 जनपदों में हुई फसल हानि के आकलन के अनुरूप कृषि विभाग के अधिकारियों ने 34,137 हेक्टेयर फसल बर्बादी होने का अंदाजा लगाया जा रहा है।
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बेमौसम बारिश से सर्वाधिक प्रभावित होने वाले जनपदों में उन्नाव, हमीरपुर, झांसी, प्रयागराज, चंदौली, आगरा, बरेली, वाराणसी और लखमीपुर खीरी शम्मिलित हैं। सरकार द्वारा कराये गए 15 मार्च तक के सर्वेक्षण में यह पाया गया है, कि मार्च के प्रथम पखवाड़े में मौसम परिवर्तन से प्रत्यक्ष रूप से 1.02 लाख किसानों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है।
बागवानी फसलों को भी झेलना पड़ा है नुकसान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मार्च के समापन के दो दिनों में बदली परिस्थितियों से पूरे प्रदेश के कृषि क्षेत्र पर बेकार तरह प्रभावित हुई है। विशेष रूप से अलीगढ़, बरेली, सीतापुर, उन्नाव, सोनभद्र, हमीरपुर, संभल, मुरादाबाद और पीलीभीत में ओलावृष्टि से तैयार कटी हुई फसलें चौपट हुई हैं।
इनमें से विभिन्न जनपदों में आलू की खुदाई चल रही थी। वहीं, आम के पेड़ पर बौर आ रहे थे। परंतु, खेत में सुखाने हेतु रखे हुए आलू तो बर्बाद हुए ही, आम के बौर भी पेड़ों से झड़कर भूमि पर गिर चुके हैं। किसानों के अतिरिक्त बागवान भी आम के उत्पादन के संबंध में काफी चिंतित हैं।
योगी सरकार ने फसल क्षति का सर्वेक्षण करने के दिए आदेश
किसानों के लिए आफत बनी बेमौसम बारिश का कहर अभी तक जारी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा पहले पखवाड़े में मूसलाधार बारिश के पूर्वानुमान की जानकारी दी गई थी। इधर आज भी बहुत सारे क्षेत्रों में फसल कटाई एवं नई फसल की बुवाई का कार्य सुचारू है। ऐसी स्थितियों पर ध्यान देते हुए योगी सरकार द्वारा फसल नुकसान का सर्वेक्षण करने के निर्देश जारी किए गए हैं। जिसके आधार पर कृषि निवेश राहत सहायता धनराशि भी मुहैय्या कराई जाएगी।
वास्तव में पॉली हाउस में खीरे की खेती करने पर ताप, धूप, बारिश, आंधी, लू और ठंड का प्रभाव नहीं पड़ता है। आप किसी भी मौसम में पॉली हाउस के भीतर किसी भी फसल की खेती आसानी से कर सकते हैं। इससे उनका उत्पादन भी बढ़ जाता है और किसान भाइयों को मोटा मुनाफा प्राप्त होता है। इसी कड़ी में एक किसान हैं दशरथ सिंह, जिन्होंने पॉली हाउस तकनीक के जरिए खेती शुरू कर लोगों के सामने नजीर पेश की है। दशरथ सिंह अलवर जनपद के इंदरगढ़ के निवासी हैं। वह लंबे वक्त से पॉली हाउस के भीतर खीरे का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको काफी अच्छी आमदनी भी अर्जित हो रही है।
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किसान खीरे की कितनी उपज हांसिल करता है
दशरथ सिंह पूर्व में पारंपरिक विधि से खेती किया करते थे। उनको पॉली हाउस के संदर्भ में कोई जानकारी नहीं थी। एक दिन उनको उद्यान विभाग के संपर्क में आकर उनको पॉली हाउस तकनीक से खेती करने की जानकारी प्राप्त हुई है। इसके पश्चात उन्होंने 4000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में पॉली हाउस का निर्माण करवाया और उसके अंदर खीरे का उत्पादन चालू कर दिया।
बहुत सारे किसान पॉली हाउस तकनीक से खेती करते हैं
किसान दशरथ सिंह का कहना है, कि पॉली हाउस की स्थापना करने पर उनको 15 लाख रुपये का खर्चा करना पड़ा। हालांकि, सरकार की ओर से उनको 23 लाख 50 हजार का अनुदान भी मिला था। उनको देख कर फिलहाल जनपद में बहुत सारे किसान भाइयों ने पॉली हाउस के भीतर खेती शुरू कर दी है।
लखन यादव ने पॉली हाउस तकनीक को लेकर क्या कहा
साथ ही, दशरथ सिंह के बेटे लखन यादव का कहना है, कि हम पॉली हाउस के भीतर केवल खीरे की ही खेती किया करते हैं। विशेष बात यह है, कि वह पॉली हाउस के भीतर सुपर ग्लो-बीज का उपयोग करते हैं, इससे फसल की उन्नति एवं प्रगति भी शीघ्र होती है। उनका यह भी कहना है, कि उन्हें एक बार की फसल में 60 से 70 टन खीरे की उपज अर्जित हुई थी। वहीं, एक फसल तैयार होने में करीब 4 से 5 माह का समय लगता है। बतादें, कि 60 से 70 टन खीरों का विक्रय कर वे 12 लाख रुपये की आय कर लेते हैं। इसमें से 6 लाख तक का मुनाफा होता है।
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वर्तमान में दक्षिण भारतीय एक किसान भास्कर रेड्डी ने अपनी फसल को बंदरों एवं जंगली सूअरों के आतंक को समाप्त करने के लिए एक देसी नुस्खा आजमाया है, जिसका उसे सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल रहा है। भारत भर के बाकी किसान भी इससे सीख लेकर खेती में अपनी हानि को कम कर सकते हैं। सोशल मीडिया पर किसान के देसी जुगाड़ की तस्वीर बड़ी तीव्रता से वायरल हो रही है।
जानकारी के लिए बतादें, कि मीडिया एजेंसी एएनआई के मुताबिक तेलंगाना के एक किसान भास्कर रेड्डी ने अपनी फसल बचाव के लिए एक कदम आगे बढ़कर एक भालू की पोशाक को धारण कर अपने खेतों को बंदरों एवं जंगली सूअर से बचाने का अचूक उपाय खोज निकाला है। किसान भास्कर रेड्डी के मुताबिक, उन्होंने जंगली सूअर एवं बंदरों के आतंक से बचने के लिए यह अनोखा तरीका आजमाया है, जो कि फसल कटाई से पूर्व ही उसकी फसल को हानि पहुंचाते देखे जाते थे।
किसान ने बताया है, कि खेतों की फसल के बचाव के लिए वह और उनका बेटा बारी-बारी से पोशाक पहनकर खेतों में जाते हैं। जिससे की जंगली सूअर एवं बंदरों से खेतों को बचाया जा सके। वर्तमान में उन्होंने इस कार्य के लिए 500 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से एक शख्स को रखा है। किसान के मुताबिक, उन्होंने यह पोशाक हैदराबाद में कॉस्ट्यूम सप्लाई वेंडर से ली थी, जो कि थिएटर ग्रुप के लिए कपड़े बनाता है, जिसे उन्होंने 10,000 रुपये में खरीदा था।
खबरों के अनुसार, किसान अपनी फसल को सही भाव पर बेच सकते हैं। मक्का (Maize ) - 2090 /- प्रति क्विंटल, बाजरा (Millet) - 2500 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (हाइब्रिड) - 3180 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (मालदाण्डी) - 3225 /- प्रति क्विंटल
बतादें कि यदि आप उतर प्रदेश के किसान हैं और आपने धान की बिक्री करने के लिए पंजीकरण नहीं किया है, तो आप खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट fcs.up.gov.in अथवा विभाग के मोबाइल एप UP KISHAN MITRA से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूर्ण करें।
बतादें, कि फसलों की रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक कर सकते हैं। ख्याल रहे कि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने का वक्त प्रातः 9 बजे से लगाकर शाम 5 बजे तक हैं। वहीं, इस संदर्भ में ज्यादा जानकारी के लिए आप चाहें तो सरकार के द्वारा जारी किए गए टोल फ्री नंबर- 1800 1800 150 पर कॉल कर संपर्क साध सकते हैं।
पंजीकरण के लिए आवश्यक कागजात
बतादें, कि यदि रजिस्ट्रेशन के दौरान आपका कोई भी कागजात सही नहीं पाया जाता है, तो आप इस सुविधा का फायदा नहीं उठा पाएंगे। आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी निरस्त कर दिया जाएगा। इस वजह से जब आप रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, उस वक्त अपने सही व आवश्यक कागजात को ही दें। जैसे कि- किसान समग्र आई डी नंबर, ऋण पुस्तिका, आधार नंबर, बैंक खाता नम्बर, बैंक का आईएफएससी कोड और मोबाइल नंबर इत्यादि।
उत्तर प्रदेश के कृषक भाई अपने घर बैठे ऑनलाइन ढ़ंग से विभिन्न जनपदों में अपनी फसल की बिक्री कर सकते हैं। चंदौली, बलिया, मिर्जापुर, भदोही, जालौन, चित्रकूट, बाँदा, प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, कानपुर देहात, कानपुर शहर, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाज़ीपुर, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, हरदोई, सुलतानपुर, अमेठी, मिर्जापुर, जालौन, अयोध्या, वाराणसी, प्रतापगढ़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, अलीगढ, कासगंज, एटा, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोज़ाबाद, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फरुखाबाद, वाराणसी, जौनपुर और गाजीपुर आदि बहुत सारे जिले हैं।
किसान मुकेश अन्य बहुत से किसानो के लिए भी रोजगार के अवसर उपलब्ध करा रहे हैं। किसान मुकेश का कहना है, कि उसने अपनी भूमि पर चार नेट हॉउस तैयार कर रखे हैं। इनके अंदर किसान मुकेश खीरे की खेती करते हैं। किसान मुकेश के मुताबिक खीरे की मांग गर्मियों में काफी ज्यादा बढ़ जाती है। अब ऐसे में किसान मुकेश लगभग 2 वर्षों से खीरे की खेती कर रहा। बतादें कि इससे किसान मुकेश को काफी अच्छी कमाई हो रही है। यही वजह है, कि वह आहिस्ते-आहिस्ते खीरे की खेती का रकबा और ज्यादा बढ़ाते गए हैं। इसके साथ साथ मुकेश ने अपने आसपास के बहुत से लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है।
खीरे की वर्षभर खेती की जा सकती है
मुकेश का कहना है, कि एक नेट हाउस निर्मित करने के लिए ढ़ाई से तीन लाख रुपये की लागत आती है। परंतु, इसके अंदर खेती करने पर आमदनी काफी ज्यादा बढ़ जाती है। युवा किसान का कहना है, कि खीरे की बहुत सारी किस्में हैं, जिसकी नेट हाउस के अंदर सालों भर खेती की जा सकती है।
ड्रिप विधि से सिंचाई करने पर जल की काफी कम बर्बादी होती है
किसान मुकेश का कहना है, कि उनको खीरे की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह लगी है कि इसकी खेती में जल की काफी कम खपत होती है। दरअसल, नेट हॉउस में ड्रिप विधि के माध्यम से फसलों की सिंचाई की जाती है। ड्रिप विधि से सिंचाई करने से जल की बर्बादी बेहद कम होती है। इसके साथ ही पौधों की जड़ो तक पानी पहुँचता है। किसान मुकेश अपने खेत में पैदा किए गए खीरे की सप्लाई दिल्ली एवं गुरुग्राम समेत बहुत सारे शहरों में करता है। वर्तमान में वह 15 रूपए किलो के हिसाब से खीरे बेच रहा है।
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आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस मेले के जरिए किसानों को एक साथ लाने की कोशिश की जा रही है। सरदार वल्लभभाई पटेल विश्वविद्यालय में इस मेले के दौरान गोलू-2 उन्नत नस्ल का भैंसा और डॉग शो मुख्य आकर्षण का केंद्र बने हैं। साथ ही, कृषि मेले का प्रमुख मकसद किसानों की दिक्कत परेशानियों का निवारण करना भी है। इसके अतिरिक्त फल -फूल, सब्जी, नवीनतम तकनीक को प्रोत्साहन देने के लिए यह मंच उपलब्ध कराया गया है।
आज सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय में मेले के दौरान मेरठ में महामहिम राज्यपाल महोदया उत्तर प्रदेश, श्रीमती आनंदी बेन पटेल जी द्वारा अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी का उद्घाटन एवं अवलोकन किया गया। साथ ही, 19वें एशियन गेम्स की पदक विजेत्री बेटीयों पारुल चौधरी एवं किरण बालियान को भी सम्मानित किया गया। मेले के इस अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार में कृषि राज्य मंत्री श्री बलदेव सिंह औलख जी, @svpuat के कुलपति डॉ के के सिंह जी, कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल समिति के अध्यक्ष डॉ संजय सिंह जी, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती संगीता शुक्ला जी, वरिष्ठ वैज्ञानिकगण, किसान एवं छात्र उपस्थित रहे।
इस बजट में किसानों से सीधे तौर पर जुड़ी हुई साथ महत्वपूर्ण घोषणाएं की गई जो इस प्रकार से हैं;
सरकार द्वारा ‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल’’ कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा जिसके तहत किसानों को खेती की नई तकनीक के बारे में जानकारी देते हुए उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा.साल 2023-24 मैं यूपी सरकार ऐसी 170000 किसान पाठशाला में आयोजित करेंगी जिनमें उन्हें यह जानकारी दी जाएगी.
यूपी सरकार ने नेशनल मिशन फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर योजना के लिए 631 करोड़ 93 लाख रूपए देने की बात कही है.
यूपी सरकार नेशनल मिशन ऑन एग्रीकल्चर फार्मिंग योजना को काफी महत्व दे रही है और इसके तहत राज्य में 49 जिलों में प्राकृतिक खेती का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है जो गौ आधारित है. इस बजट में सरकार ने इस योजना को 113 करोड़ 52 लाख रूपए प्रस्तावित किए हैं.
सरकार ने इस बजट में निजी नलकूपों को सस्ते दरों पर बिजली आपूर्ति करवाने की बात भी कही है और इस योजना को पूरा करने के लिए 1950 करोड रुपए बजट में रखे गए हैं.
यूपी सरकार द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के लिए 984 करोड़ 54 लाख रूपए का बजट रखा गया है.
आत्मनिर्भर कृषक समन्वित योजना के लिए भी सरकार ने अच्छा खासा बजट इस बार निकाला है जो 100 करोड रुपए है.
सरकारों को उनकी फ्रॉक का इंश्योरेंस देना भी योगी सरकार का हमेशा से महत्व रहा है और इसीलिए इस बजट में नेशनल क्रॉप इंश्योरेंस योजना के लिए 753 करोड़ 70 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है.
इन सबके अलावा सिंचाई और कृषि शिक्षा के लिए भी सरकार ने अलग से कई तरह की योजनाएं बनाने का फैसला किया है जिनके तहत बजट का आवंटन किया जाएगा.
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बजट पेश करते वक्त यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कृषि और किसानों से संबंधित और भी कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. उन्होंने बताया कि 2017 से 2023 तक 46 लाख 22 हजार गन्ना किसानों को 1 लाख 96 हजार करोड़ रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया गया. इस दौरान ना सिर्फ गन्ने की प्रोडक्शन में बढ़ावा हुआ है बल्कि किसानों की आय भी प्रति हेक्टेयर की दर से काफी अच्छी तरह से बढ़ी है.
उनके द्वारा बताए गए आंकड़ों से पता चलता है कि अंत फसल की खेती से किसानों को लगभग 25% की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है. विपणन वर्ष के दौरान 87 हजार 991 किसानों से 3.36 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। PFMS पोर्टल के जरिए से 675 करोड़ का भुगतान किया गया है.
जैसा कि बताया गया है कि यूपी एक ऐसा राज्य बन गया है जिसने DBT के जरिए किसानों के खाते में सबसे ज्यादा पैसे डाले हैं.
आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2022- 23 में पीएम सम्मान निधि से 51 हजार 639.68 करोड़ से ज्यादा अमाउंट DBT के जरिए किसानों के खाते में ट्रांसफर की गई. अभी के बजट में किसान पेंशन योजना के लिए 7 हजार 248 करोड़ रूपए का बजट प्रस्तावित है.
अर्थशास्त्र एक्सपर्ट डॉक्टर मुलायम सिंह से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि दूध, गन्ना और चीनी के उत्पादन में यूपी हमेशा से ही नंबर वन रहा है और इसमें कोई दो राय नहीं है. लेकिन उन्होंने सरकार द्वारा डीबीटी के माध्यम से किसानों के खाते में पहुंचाए जाने वाली राशि को बहुत ही सराहनीय कदम बताया है. इसके अलावा उन्होंने इस बजट पर एक और टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार ने नई घोषणाएं करने की बजाय अपनी पिछली उपलब्धियों को ज्यादा बनवाया है.
इसके अलावा उन्होंने छुट्टा गोवंश के रखरखाव के लिए सरकार द्वारा 750 करोड़ रुपए की बजट घोषणा करने को भी किसानों के लिए एक अच्छा कदम बताया है.
योगी सरकार द्वारा आने वाले वित्तीय वर्ष में कृषकों के लिए बिजली बिल में 100 फीसद छूट प्रदान करने के लिए बजट में 15000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में यह कहा गया था, कि यूपी में किसानों को निजी नलकूपों के जरिए से सिंचाई हेतु बिजली बिल में 100 फीसद की छूट दी जाएगी। इसके अंतर्गत किसान भाइयों को योगी सरकार छूट प्रदान करने जा रही है। किसानों को निःशुल्क बिजली प्रदान करने का वादा बीजेपी द्वारा स्वयं के लोक कल्याण संकल्प पत्र में भी किया गया था।
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यूपी में किसानों को एक अप्रैल से दी जाएगी निशुल्क बिजली
कुछ दिन पहले यूपी के उपमुख्यमंत्री सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने बाराबंकी में एक जन चौपाल में ऐलान करते हुए कहा था, कि एक अप्रैल से कृषकों को नलकूप द्वारा सिंचाई करने हेतु बिजली मुफ्त में दी जाएगी। यानी कि स्पष्ट है, कि फिलहाल उत्तर प्रदेश के किसानों को नलकूप द्वारा सिंचाई करने पर विघुत शुल्क नहीं देना पड़ेगा। योगी सरकार द्वारा किसान भाइयों को यूपी निकाय चुनाव से पूर्व यह बड़ा उपहार दिया गया है। क्योंकि बहुत सारे किसान मंहगाई के वक्त में विद्युत बिल को लेकर परेशान हैं।